रात तब नहीं होती जब अंधेरा आ जाता है,
रात तब होती है जब उज़ाला चला जाता है……
बात बहुत मामूली है…..इसिलिये तो खास है…..!
दर्द तब नहीं होता जब कोई भुला देता है,
दर्द तब होता है जब वो याद बहुत आता है……..
बात बहुत मामूली है…..इसिलिये तो खास है…..!
ghutan ke baad..... Read the matter of heart n feel yourself. After locking horns with time bound shakles and after promising struggle against alienation...I slipped into coziness of comfort and compromised with the situation...I termed suffocation as satisfaction and yet living life in a materialistic fashion with no more questions and no more revolutionary ideas..Am I SICK???
रात तब नहीं होती जब अंधेरा आ जाता है,
रात तब होती है जब उज़ाला चला जाता है……
बात बहुत मामूली है…..इसिलिये तो खास है…..!
दर्द तब नहीं होता जब कोई भुला देता है,
दर्द तब होता है जब वो याद बहुत आता है……..
बात बहुत मामूली है…..इसिलिये तो खास है…..!
No comments:
Post a Comment